कक्षा 12वीं के बाद भारत में पायलट कैसे बनें: जानें योग्यता ट्रेनिंग फीस और करियर विकल्प

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Pilot Kaise Bane Hindi अगर आप उड़ने का सपना देखते हैं और आसमान को अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पायलट बनना आपके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हो सकता है भारत में पायलट बनना न केवल एक रोमांचकारी अनुभव है बल्कि यह एक प्रतिष्ठित और लाभदायक करियर भी है चाहे आप कमर्शियल फ्लाइट उड़ाना चाहते हों या भारतीय वायुसेना में सेवा करना चाहते हों पायलट बनने की प्रक्रिया निश्चित और सुनियोजित होती है इस लेख में हम जानेंगे कि 12वीं के बाद पायलट कैसे बना जा सकता है।

भारत में पायलट ट्रेनिंग शुरू करने के लिए आपकी न्यूनतम उम्र 17 वर्ष होनी चाहिए शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो उम्मीदवार को 12वीं कक्षा (10+2) भौतिकी और गणित विषयों के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य है इसके साथ ही शारीरिक रूप से भी फिट होना आवश्यक है ट्रेनिंग शुरू करने से पहले आपको DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा परीक्षक से “क्लास 2 मेडिकल सर्टिफिकेट” प्राप्त करना होता है कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए बाद में “क्लास 1 मेडिकल सर्टिफिकेट” अनिवार्य होता है।

भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के पायलट होते हैं:

सिविल एविएशन पायलट ये पायलट व्यावसायिक एयरलाइनों कार्गो कंपनियों निजी जेट या चार्टर फ्लाइट्स के लिए काम करते हैं इसके लिए CPL प्राप्त करना आवश्यक होता है

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डिफेंस एविएशन पायलट ये पायलट भारतीय वायुसेना में सेवा देते हैं इनका चयन NDA CDS जैसी परीक्षाओं के माध्यम से होता है और प्रशिक्षण रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत विशेष संस्थानों में दिया जाता है।

कमर्शियल पायलट बनने के लिए आपको DGCA से मान्यता प्राप्त फ्लाइट ट्रेनिंग स्कूल में दाखिला लेना होता है इन संस्थानों में ग्राउंड स्कूल और फ्लाइट ट्रेनिंग दोनों दी जाती हैं ग्राउंड स्कूल में विमान विज्ञान मौसम विज्ञान एयर नेविगेशन और विमान नियम जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं इसके बाद प्रशिक्षकों की निगरानी में 200 घंटे की फ्लाइंग ट्रेनिंग की जाती है जिसमें सोलो फ्लाइट ड्यूल फ्लाइट और क्रॉस-कंट्री फ्लाइट शामिल होती हैं।

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद DGCA द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं को पास करना होता है इनमें एयर रेगुलेशन्स मौसम विज्ञान नेविगेशन तकनीकी ज्ञान और रेडियो टेलीफोनी (RTR) की परीक्षा शामिल होती है जब आप यह सभी परीक्षाएं पास कर लेते हैं और 200 घंटे की उड़ान पूरी कर लेते हैं तो आप CPL के लिए आवेदन कर सकते हैं यह लाइसेंस आपको व्यावसायिक विमान उड़ाने की अनुमति देता है।

भारत में कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग का खर्च सामान्यतः ₹40 लाख से ₹50 लाख के बीच होता है यदि आप विशेष एयरक्राफ्ट मॉडल के लिए टाइप रेटिंग कोर्स भी करते हैं तो अतिरिक्त ₹15 लाख से ₹25 लाख तक का खर्च जुड़ सकता है यह खर्च संस्थान ट्रेनिंग सुविधाओं और स्थान के आधार पर बदल सकता है।

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कमर्शियल पायलट बनने की प्रक्रिया में सामान्यतः 18 से 24 महीने लगते हैं बशर्ते मौसम या फ्लाइट घंटे की कोई बाधा न हो लेकिन यह अवधि ट्रेनिंग स्कूल की सुविधाओं और DGCA की परीक्षाओं में सफलता की गति पर निर्भर करती है।

एक बार जब आप CPL प्राप्त कर लेते हैं तो आपके पास कई करियर विकल्प होते हैं आप घरेलू या अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों में फर्स्ट ऑफिसर (सह-पायलट) के रूप में नौकरी कर सकते हैं आप प्राइवेट जेट या चार्टर कंपनियों के लिए भी काम कर सकते हैं इसके अलावा कुछ पायलट उड़ान प्रशिक्षक (फ्लाइट इंस्ट्रक्टर) भी बनते हैं और नए पायलटों को प्रशिक्षित करते हैं अनुभव बढ़ने के साथ आप कैप्टन भी बन सकते हैं।

पायलट बनना एक सपना तो है ही साथ ही यह एक समर्पण मेहनत और अनुशासन से भरा करियर भी है यदि आप 12वीं में विज्ञान के छात्र हैं और उड़ान के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो समय रहते इसकी तैयारी शुरू कर दें इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए सही मार्गदर्शन उपयुक्त ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का चयन और मानसिक तथा शारीरिक फिटनेस आवश्यक है एक बार लाइसेंस मिल जाए तो आपके सामने आसमान तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।

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